Saturday, April 16, 2011
Saturday, July 18, 2009
AJANMI BACCHI AUR MAA
अजन्मी बच्ची के अपनी मां से प्रश्न
इक सुबह इक कली टूटीऔर मेरे आंगन मे आ गिरीरो रही थी बिलख रही थीमुझको चीख पुकार सुनयी पडीमै उसके समीप गयाउसको थोडा सहला दियाफ़िर उससे कारण पुछा उसने ना कुछ जवाब दियाफ़िर अचानक वो बोलीकि मै इक अजन्मी बच्ची हूंमेरी मां ने कोख मे मेरा कत्ल कियाइक कली को फ़ूल बनने से पहले मसल दियाफ़िर उसने वो प्रश्न कियेआंखो मे आंसु मेरे ला दियेऔर फ़िर वो अपनी मां से कुछ सवाल करती है उन सवालो ने मुझको अन्दर तक झकझोर कर रख दिया वो कहती है कि ए मां मां ए मांमेरी क्या गलती थी जो तुने कोख मे मुझे मिटा दियाजन्म तो मुझको लेने देती क्यो पहले ही मेरा बलिदान कियाए मांमैने तो तुझको इतना चाहा थाकि मै ना खेली कोख मे तेरी शांत सब्र से बैठी रहती कहीं तुझको दर्द ना होतेरे दर्द की खातिर सिमटी रहतीपर क्या अहसास तेरे सब मर गये थेक्या तुझको ना दर्द हुआजब तुने मारा मुझको क्या तेरे सीने मे ना तीर गडाए मां मै भी तो झांसी की रानी बन सकती थीइन्दिरा गांधी कल्पना चावला हो सकती थीक्यो तुने मुझ पर ना विश्वास कियानाम को तेरे रोशन करती क्यो पहले ही गला तुने मेरा घोट दियाए मांमै भी इस दुनिया मै आना चाहती थीतेरी गोद मे सर रखकर सोना चाहती थीतेरे स्नेह के सागर से कतरा दो कतरा चाहती थीपर क्यो तुने कोख को अपनी श्मशान कियाक्यों तुने मुझको कोख मे अपनी जला दियाखैर कोई बात नही मांतेरी भी कोई मजबूरी होगीजिसने जननी को हैवान कियाअब तू जीना सुख चैन सेमैने अपना कत्ल तुझे माफ़ किया
इक सुबह इक कली टूटीऔर मेरे आंगन मे आ गिरीरो रही थी बिलख रही थीमुझको चीख पुकार सुनयी पडीमै उसके समीप गयाउसको थोडा सहला दियाफ़िर उससे कारण पुछा उसने ना कुछ जवाब दियाफ़िर अचानक वो बोलीकि मै इक अजन्मी बच्ची हूंमेरी मां ने कोख मे मेरा कत्ल कियाइक कली को फ़ूल बनने से पहले मसल दियाफ़िर उसने वो प्रश्न कियेआंखो मे आंसु मेरे ला दियेऔर फ़िर वो अपनी मां से कुछ सवाल करती है उन सवालो ने मुझको अन्दर तक झकझोर कर रख दिया वो कहती है कि ए मां मां ए मांमेरी क्या गलती थी जो तुने कोख मे मुझे मिटा दियाजन्म तो मुझको लेने देती क्यो पहले ही मेरा बलिदान कियाए मांमैने तो तुझको इतना चाहा थाकि मै ना खेली कोख मे तेरी शांत सब्र से बैठी रहती कहीं तुझको दर्द ना होतेरे दर्द की खातिर सिमटी रहतीपर क्या अहसास तेरे सब मर गये थेक्या तुझको ना दर्द हुआजब तुने मारा मुझको क्या तेरे सीने मे ना तीर गडाए मां मै भी तो झांसी की रानी बन सकती थीइन्दिरा गांधी कल्पना चावला हो सकती थीक्यो तुने मुझ पर ना विश्वास कियानाम को तेरे रोशन करती क्यो पहले ही गला तुने मेरा घोट दियाए मांमै भी इस दुनिया मै आना चाहती थीतेरी गोद मे सर रखकर सोना चाहती थीतेरे स्नेह के सागर से कतरा दो कतरा चाहती थीपर क्यो तुने कोख को अपनी श्मशान कियाक्यों तुने मुझको कोख मे अपनी जला दियाखैर कोई बात नही मांतेरी भी कोई मजबूरी होगीजिसने जननी को हैवान कियाअब तू जीना सुख चैन सेमैने अपना कत्ल तुझे माफ़ किया
BETIYA
अजन्मी बच्ची की व्यथा
क्यों मां क्यों बाबाक्यों तुमने मुझे मिटा दियाअपनी ममता अपने जीवन सेक्यों तुमने मुझे जुदा कियामै इक लडकी हूं ये तो मेरा अपराध न थाजिसने दिया मुझे ये रूपक्यों उस ईश्वर को तुमने क्षमा कियाक्यों लडके की चाहत मेतुमने इस निरिह के प्राण हरेक्यों भ्रूण से मेरेअस्पताल के कूडेदान भरेक्यों ना कांपे हाथ डाक्टर केजिसने मुझे बलिदान कियाक्यों चंद सिक्को की खातिरपेशा उसने अपना निलाम कियाक्यों किसी का ह्रदय ना रोयादादा दादी का प्यार क्यों सोयाउनकी इक चाहत की खातिरक्यों मैने अपना सब कुछ खोयामै इक लडकी ये मेरी गलती न थीगलती मेरे मां बाप कीउस ईश्वर कीजिसने मुझे यूं जन्म दियामै पूछूं संगी से अपनेक्यों फ़िर मेरा ही खून हुआक्यों ना ईश्वर का सिंहासन डोलाना धरती का सीना फ़टा क्यों गंगा भी मौन रहीक्यों पर्वत हिमालय रहा खडा क्यों थी सबकी मौन
स्वीक्रतिम्रत्यु का चोला क्यों मुझ पर दिया चढा
ओस की बूंदों सी होती हैं बेटियाँ !
खुरदरा हो स्पर्श तो रोती हैं बेटियाँ !!
रौशन करेगा बेटा बस एक ही वंश को !
दो - दो कुलों की लाज ढोतीं हैं बेटियाँ !!
कोई नहीं है दोस्तों एक दुसरे से कम !
हीरा अगर है बेटा तो मोती है बेटियाँ !!
काँटों की राह पर खुद चलती रहेंगी !
औरों के लिए फूल ही बोती हैं बेटियाँ !!
विधि का है विधान या दुनिया की है रीत !
क्यों सबके लिए भार होती हैं बेटियाँ !!
धिक्कार है उन्हें जिन्हें बेटी बुरी लगे !
सबके लिए बस प्यार ही संजोती है बेटियाँ !!
क्यों मां क्यों बाबाक्यों तुमने मुझे मिटा दियाअपनी ममता अपने जीवन सेक्यों तुमने मुझे जुदा कियामै इक लडकी हूं ये तो मेरा अपराध न थाजिसने दिया मुझे ये रूपक्यों उस ईश्वर को तुमने क्षमा कियाक्यों लडके की चाहत मेतुमने इस निरिह के प्राण हरेक्यों भ्रूण से मेरेअस्पताल के कूडेदान भरेक्यों ना कांपे हाथ डाक्टर केजिसने मुझे बलिदान कियाक्यों चंद सिक्को की खातिरपेशा उसने अपना निलाम कियाक्यों किसी का ह्रदय ना रोयादादा दादी का प्यार क्यों सोयाउनकी इक चाहत की खातिरक्यों मैने अपना सब कुछ खोयामै इक लडकी ये मेरी गलती न थीगलती मेरे मां बाप कीउस ईश्वर कीजिसने मुझे यूं जन्म दियामै पूछूं संगी से अपनेक्यों फ़िर मेरा ही खून हुआक्यों ना ईश्वर का सिंहासन डोलाना धरती का सीना फ़टा क्यों गंगा भी मौन रहीक्यों पर्वत हिमालय रहा खडा क्यों थी सबकी मौन
स्वीक्रतिम्रत्यु का चोला क्यों मुझ पर दिया चढा
ओस की बूंदों सी होती हैं बेटियाँ !
खुरदरा हो स्पर्श तो रोती हैं बेटियाँ !!
रौशन करेगा बेटा बस एक ही वंश को !
दो - दो कुलों की लाज ढोतीं हैं बेटियाँ !!
कोई नहीं है दोस्तों एक दुसरे से कम !
हीरा अगर है बेटा तो मोती है बेटियाँ !!
काँटों की राह पर खुद चलती रहेंगी !
औरों के लिए फूल ही बोती हैं बेटियाँ !!
विधि का है विधान या दुनिया की है रीत !
क्यों सबके लिए भार होती हैं बेटियाँ !!
धिक्कार है उन्हें जिन्हें बेटी बुरी लगे !
सबके लिए बस प्यार ही संजोती है बेटियाँ !!
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